Sunday, January 11, 2009

आइए हाथ उठाएं हम भी: अंत में लोग ही चुनेंगे रंग

आइए हाथ उठाएं हम भी: अंत में लोग ही चुनेंगे रंग
भाई श्री लाल्‍टू जी
नमस्‍कार
ब्‍लाग पर आपकी कविताएं बेहद पसंद आई.
उम्‍मीद है आप मुझे भूले नहीं होंगें काफी अर्सा पहले मैं आपसे चंडीगढ़ में मिला आज कल आप हैदराबाद में है. अपने बारे में विस्‍तारे से बताएं
मेरा पता है
हरियश राय जयपुर
hariyashrai@gmail.com
मुझे आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी