उपर से शांत दिखने वाला जयपुर इन दिनों दहशत और आंतक की गिरफत में है। लगातार हुए बम हादसों ने आम आदमी को सोचन पर बाध्य कर दिया है कि आखिर जयपुर जैसे शहर को ही आंतकवादियों ने निशाने पर क्यों रखा।हॉलाकि जयपुर में साम्प्रदायिक सोच उस तरह की नहीं है जैसे गुजरात में देखने को मिलती है। लेकिन इन हादसों ने लोगों के जेहन को गहराई से प्रभावित किया है।जयपुर के प्रमुख व्यवसायिक और धार्मिक जगहों पर दहशत पैदा कर आंतकवाद का क्या मकसद हो सकता है.आग पर घी का काम किया इलैक्ट्रिानिक मीडिया ने. लगातार अफवाहों को प्रसारित कर पूरे देश में एक डर सा पैदा किया है. मीडिया की भूमिका हमेशा की तरह इस बार भी नकारात्मक ही रही. सुनी सनाई बातों पर प्रमाणिक पाठ की तरह मीडिया ने इस दहशत का प्रसार किया ;
एक तरह इस दहशत का वयापार और दूसरी तरफ क्रिकेट मैच का कारोबार दोनो इस शहर में इ न दिनों खूब फले। और परेशान हुआ आम आदमी।और वह परेशान और त्रस्त आम आदमी कुछ दिनों बाद फिर लोकतंत्र में अपनी तथाकथित भूमिका का निर्वाह करते हुए राजस्थान सरकार को चुनेगा
हरियश राय
18 मई 2008
Sunday, May 18, 2008
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