आइए हाथ उठाएं हम भी: अंत में लोग ही चुनेंगे रंग
भाई श्री लाल्टू जी
नमस्कार
ब्लाग पर आपकी कविताएं बेहद पसंद आई.
उम्मीद है आप मुझे भूले नहीं होंगें काफी अर्सा पहले मैं आपसे चंडीगढ़ में मिला आज कल आप हैदराबाद में है. अपने बारे में विस्तारे से बताएं
मेरा पता है
हरियश राय जयपुर
hariyashrai@gmail.com
मुझे आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी
Sunday, January 11, 2009
Sunday, May 18, 2008
जयपुर के हादसे
उपर से शांत दिखने वाला जयपुर इन दिनों दहशत और आंतक की गिरफत में है। लगातार हुए बम हादसों ने आम आदमी को सोचन पर बाध्य कर दिया है कि आखिर जयपुर जैसे शहर को ही आंतकवादियों ने निशाने पर क्यों रखा।हॉलाकि जयपुर में साम्प्रदायिक सोच उस तरह की नहीं है जैसे गुजरात में देखने को मिलती है। लेकिन इन हादसों ने लोगों के जेहन को गहराई से प्रभावित किया है।जयपुर के प्रमुख व्यवसायिक और धार्मिक जगहों पर दहशत पैदा कर आंतकवाद का क्या मकसद हो सकता है.आग पर घी का काम किया इलैक्ट्रिानिक मीडिया ने. लगातार अफवाहों को प्रसारित कर पूरे देश में एक डर सा पैदा किया है. मीडिया की भूमिका हमेशा की तरह इस बार भी नकारात्मक ही रही. सुनी सनाई बातों पर प्रमाणिक पाठ की तरह मीडिया ने इस दहशत का प्रसार किया ;
एक तरह इस दहशत का वयापार और दूसरी तरफ क्रिकेट मैच का कारोबार दोनो इस शहर में इ न दिनों खूब फले। और परेशान हुआ आम आदमी।और वह परेशान और त्रस्त आम आदमी कुछ दिनों बाद फिर लोकतंत्र में अपनी तथाकथित भूमिका का निर्वाह करते हुए राजस्थान सरकार को चुनेगा
हरियश राय
18 मई 2008
एक तरह इस दहशत का वयापार और दूसरी तरफ क्रिकेट मैच का कारोबार दोनो इस शहर में इ न दिनों खूब फले। और परेशान हुआ आम आदमी।और वह परेशान और त्रस्त आम आदमी कुछ दिनों बाद फिर लोकतंत्र में अपनी तथाकथित भूमिका का निर्वाह करते हुए राजस्थान सरकार को चुनेगा
हरियश राय
18 मई 2008
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